द्वितीय विश्व युद्ध (1939–1945): कारण, घटनाएँ, परिणाम और वैश्विक प्रभाव
द्वितीय विश्व युद्ध आधुनिक इतिहास की सबसे विनाशकारी और व्यापक घटना मानी जाती है। यह युद्ध 1 सितंबर 1939 को प्रारंभ हुआ और लगभग छह वर्षों तक चला। इस संघर्ष में दुनिया के अधिकांश देश किसी न किसी रूप में शामिल हुए। यह युद्ध केवल सेनाओं के बीच नहीं लड़ा गया, बल्कि इसमें आम नागरिकों, अर्थव्यवस्थाओं, राजनीतिक व्यवस्थाओं और सामाजिक ढाँचों को भी भारी क्षति पहुँची।
इस युद्ध ने यह स्पष्ट कर दिया कि औद्योगिक युग में लड़ा गया युद्ध कितनी तेजी से वैश्विक संकट में बदल सकता है। आधुनिक हथियारों, वायुसेना, टैंकों और अंततः परमाणु बम के प्रयोग ने इस युद्ध को पहले के सभी युद्धों से अधिक घातक बना दिया।
द्वितीय विश्व युद्ध के कारण
1. प्रथम विश्व युद्ध की विरासत
प्रथम विश्व युद्ध के बाद की गई शांति संधियाँ स्थायी शांति स्थापित करने में असफल रहीं। विशेष रूप से जर्मनी पर थोपी गई शर्तों ने वहाँ गहरी असंतोष की भावना पैदा कर दी। आर्थिक दंड, क्षेत्रीय नुकसान और सैन्य प्रतिबंधों ने जर्मन समाज को भीतर से कमजोर कर दिया।
इस अपमान और निराशा ने उग्र राष्ट्रवाद को जन्म दिया। लोगों में यह भावना प्रबल हो गई कि देश की प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित करने के लिए कठोर कदम उठाने आवश्यक हैं।
2. तानाशाही और उग्र राष्ट्रवाद
बीसवीं शताब्दी के तीसरे दशक में कई देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ कमजोर हो गईं। जर्मनी, इटली और जापान में ऐसे शासन स्थापित हुए जिन्होंने राष्ट्र को सर्वोच्च मानते हुए व्यक्तिगत स्वतंत्रता को गौण कर दिया।
इन शासनों ने सैन्य शक्ति को राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बना दिया और विस्तारवादी नीतियाँ अपनाईं।
3. वैश्विक आर्थिक संकट
1929 की आर्थिक मंदी ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं को हिला दिया। उद्योग बंद हो गए, बेरोजगारी बढ़ी और सामाजिक अस्थिरता फैली। ऐसे समय में आक्रामक राष्ट्रवाद और युद्ध को समस्याओं के समाधान के रूप में प्रस्तुत किया गया।
4. अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की कमजोरी
अंतरराष्ट्रीय शांति बनाए रखने के लिए बनी संस्थाएँ आक्रामक देशों को रोकने में विफल रहीं। उनके पास न तो पर्याप्त अधिकार थे और न ही प्रभावी कार्रवाई की क्षमता।
द्वितीय विश्व युद्ध के प्रमुख चरण
पहला चरण: युद्ध की शुरुआत (1939–1941)
1 सितंबर 1939 को पोलैंड पर आक्रमण के साथ युद्ध की शुरुआत हुई। कुछ ही समय में यूरोप के कई देश युद्ध की चपेट में आ गए। आधुनिक युद्ध तकनीकों के कारण आक्रमण तेज़ और विनाशकारी सिद्ध हुए।
दूसरा चरण: युद्ध का विस्तार (1941–1943)
इस चरण में युद्ध यूरोप से निकलकर एशिया और प्रशांत क्षेत्र तक फैल गया। कई महाद्वीपों पर एक साथ लड़ाइयाँ होने लगीं, जिससे यह संघर्ष वास्तव में वैश्विक बन गया।
तीसरा चरण: निर्णायक मोड़ (1943–1945)
इस अवधि में युद्ध की दिशा बदलने लगी। लंबे संघर्ष, संसाधनों की कमी और जनहानि ने आक्रामक शक्तियों को कमजोर कर दिया।
यूरोप में युद्ध की घटनाएँ
यूरोप द्वितीय विश्व युद्ध का मुख्य केंद्र था। यहाँ बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान, शहरों की बमबारी और जनसंहार देखने को मिला। कई ऐतिहासिक नगर पूरी तरह नष्ट हो गए।
एशिया और प्रशांत क्षेत्र में युद्ध
एशिया में युद्ध का स्वरूप अलग था। यहाँ समुद्री युद्ध, द्वीपों पर संघर्ष और लंबी दूरी की लड़ाइयाँ हुईं। आम नागरिकों को भारी कष्ट सहना पड़ा।
भारत और द्वितीय विश्व युद्ध
द्वितीय विश्व युद्ध के समय भारत औपनिवेशिक शासन के अधीन था। युद्ध में भारत के संसाधनों, उद्योगों और मानव शक्ति का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया। लाखों भारतीय सैनिकों ने विभिन्न मोर्चों पर भाग लिया।
इस युद्ध ने भारत के राजनीतिक वातावरण को भी बदल दिया। स्वतंत्रता की माँग और अधिक तीव्र हो गई और युद्ध के बाद औपनिवेशिक शासन की पकड़ कमजोर पड़ गई।
परमाणु हथियार और युद्ध का अंत
1945 में पहली बार परमाणु हथियारों का प्रयोग किया गया। इन हमलों ने अभूतपूर्व विनाश किया और युद्ध को शीघ्र समाप्त करने में निर्णायक भूमिका निभाई।
द्वितीय विश्व युद्ध के परिणाम
1. व्यापक जनहानि
इस युद्ध में करोड़ों लोगों की मृत्यु हुई। नागरिकों की संख्या सैन्य हताहतों से कहीं अधिक थी।
2. राजनीतिक पुनर्गठन
युद्ध के बाद कई देशों की सीमाएँ बदलीं और नई राजनीतिक व्यवस्थाएँ उभरीं।
3. उपनिवेशवाद का पतन
युद्ध के बाद एशिया और अफ्रीका में स्वतंत्रता आंदोलनों को नई गति मिली।
4. नई वैश्विक व्यवस्था
युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय सहयोग और शांति बनाए रखने के लिए नए प्रयास किए गए।
द्वितीय विश्व युद्ध का दीर्घकालिक प्रभाव
इस युद्ध ने मानवाधिकारों, अंतरराष्ट्रीय कानून और वैश्विक सहयोग की आवश्यकता को उजागर किया। आधुनिक विश्व की राजनीति, अर्थव्यवस्था और कूटनीति पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: द्वितीय विश्व युद्ध क्यों हुआ?
इसके प्रमुख कारणों में प्रथम विश्व युद्ध की असफल शांति संधियाँ, उग्र राष्ट्रवाद, आर्थिक संकट और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की कमजोरी शामिल थीं।
प्रश्न 2: यह युद्ध कितने वर्षों तक चला?
यह युद्ध लगभग छह वर्षों तक चला – 1939 से 1945 तक।
प्रश्न 3: इस युद्ध का सबसे बड़ा परिणाम क्या था?
वैश्विक राजनीतिक व्यवस्था का परिवर्तन और उपनिवेशवाद का कमजोर होना इसका सबसे बड़ा परिणाम माना जाता है।
प्रश्न 4: इस युद्ध से मानवता ने क्या सीखा?
यह युद्ध सिखाता है कि संघर्ष और हिंसा स्थायी समाधान नहीं हैं तथा शांति और सहयोग ही मानव प्रगति का मार्ग हैं।
प्रश्न 5: आज के विश्व में इस युद्ध का क्या महत्व है?
आज की अंतरराष्ट्रीय राजनीति, सुरक्षा व्यवस्था और वैश्विक संस्थाएँ इसी युद्ध के अनुभवों से प्रेरित हैं।





